देहरादून। थाना रायपुर पर वादी विक्रम रावत पुत्र श्याम सिंह रावत निवासी फ्लैट 301 अपेक्स टावर अशोक विहार गुडगांव डिप्टी मैनेजर JAGSONPAL PHARMACEUTICALS LIMITED द्वारा एक प्रार्थना पत्र पुलिस को दिया गया था, जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि सचिन शर्मा प्रोपराईटर एस0एस0 मेडिकोज अमन विहार देहरादून द्वारा अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर वादी की कम्पनी JAGSONPAL PHARMACEUTICALS LIMITED के नाम से जालसाजी, कूटरचना व धोखाधडी कर नकली/मिलावटी दवाइयां बेची जा रही हैं।
घटना की गम्भीरता को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा क्षेत्राधिकारी डोईवाला के नेतृत्व में थाना रायपुर व एसओजी की संयुक्त पुलिस टीम गठित करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
जिस पर पुलिस टीम द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए अभियुक्त सचिन शर्मा व उसके पार्टनर विकास कुमार को पाल्टेक्निक रोड धर्मकांटा रायपुर के पास से रेंज रोवर गाडी के साथ गिरफ्तार किया गया, जिनके कब्जे से वाहन में रखी इन्डोकेप व इन्डोकेप एस0आर0 दवाईयों के 24 डिब्बे कुल 7200 कैप्सूल नकली दवाईयां बरामद हुई।
अभियुक्त गणों से पूछताछ करने पर उनके द्वारा बताया कि मकदूमपुर गांव पर उनकी एक फर्जी फैक्ट्री है तथा गोदावरी रूडकी स्थित फ्लैट में उनके द्वारा नकली दवाईयां व उससे सम्बन्धित सामाग्री रखी हुई है, जिसे वह मूल दवाई की कम्पनी के नाम से विभिन्न राज्यों में सप्लाई करते है । पुलिस टीम द्वारा अभियुक्त गण की निशानदेही पर मकदुमपुर गांव निकट लकनौंता चौराहा झबरेडा हरिद्वार स्थित फैक्ट्री व सचिन शर्मा के गोदावरी रूडकी हरिद्वार स्थित फ्लैट से भारी मात्रा में नकली दवाईयाँ, दवाईयां बनाने के उपकरण,नकली दवाईयां आदि का कच्चा माल व अन्य सामाग्री बरामद की गयी है।
गिरफ्तार आरोपी सचिन शर्मा ने पुलिस को बताया कि हम दोनो एक दूसरे को पहले से जानते है। मैं स्टेफफोर्ड लैबोरेट्री लिमिटेड भगवानपुर में सुपरवाईजर का काम करता था, जहाँ दवाईयाँ बनती है तथा विकास जगसन पाल फार्मास्यूटिकल कम्पनी में हरिद्वार में मार्केटिंग का काम करता था। हमारी कोरोना में नौकरी छूट गयी थी। हम दोनो ने प्लान बनाया कि हम लोग जैगसन पाँल कम्पनी एंव वर्लटर बूसनल कम्पनी की नकली दवाईयाँ तैयार कर मार्केट में बेच सकते है, जिससे हम लोग करोड़ो कमा सकते है।
हम दोनो को दवाईयाँ का कम्पनी में रह कर दवाईयों के बनाने की जानकारी हो गयी थी, कि दवाईयाँ कैसे बनती है। इससे पहले हमारे द्वारा कई फर्म खोली गयी। वर्तमान में हमारे द्वारा वर्ष दिसम्बर 2022 से एक एस0एस0 मेडिकोँज नाम से एक फर्म खोली थी, जिसका प्रोपराईटर मै हूँ, परन्तु यह फर्म हम दोनो की पार्टनरशिप फर्म है। हमे इस फर्म से जितना लाभ प्राप्त होता है, उसको हम दोनो 50-50 प्रतिशत बराबर बाँट लेते है। मै लाभ का पैसा विकास कुमार को उसके खाते में डाल देता हूँ ।
उसने यह भी बताया कि हमारे द्वारा उक्त कम्पनी की दवाईयाँ अपनी फैक्ट्री मकदूमपुर गाँव निकट लखनौता चौराहा झबरेड़ा में बनाते है, जहाँ हमारे द्वारा उक्त फैक्ट्री में दवाईयाँ बनाने के लिये मशीने रखी है और वहां हमारा कच्चा माल भी रखा है। हम लोग दवाईयाँ बनाने के लिये कच्चा माल रोलेक्स फार्मा बाम्बे की एक कम्पनी से खरीदते थे, जिसका भुगतान हमारे द्वारा आँनलाईन किया जाता था, जहां से कच्चा माल विजयलक्ष्मी ट्रांसपोर्ट से रुड़की आता है, जिसे हम रुड़की में उतारकर अपनी फैक्ट्री में ले जाते है। हमारे द्वारा कच्चे माल की डिलीवरी हफ्ते में ली जाती है। उसके बाद वहाँ मेरे व विकास के द्वारा फार्मा स्यूटिकल कम्पनी एंव अन्य कम्पनी की दवाईयाँ को उनके कम्पोजिशन के आधार पर कुछ कम मात्रा में भरकर नकली दवाईयाँ बनायी जाती है। जिसे हम अपनी एस0एस0 मेडिकोज नाम की फर्म से सेल करते है। एस0एस0 मेडिकोज की फर्म बनाने के लिये मैने अपने नाम पर ड्रग लाईसेन्स लिया है, जो मैने वर्ष 2022 में बनाया था। हमारी एसएस मेडिकोज नाम की फर्म का आँफिस देहरादून में सहस्त्रधारा रोड़ में खोला है, जहाँ से हम लोग उक्त दवाईयो को दिल्ली, लखनऊ एंव कोलकाता आदि शहरो में बेचते है।
मार्केटिंग में होने के कारण विकास के पहले से मेडिकल डीलरों से सम्पर्क थे । जिस पर हम लोग अन्य राज्यो के मेडिकल स्टोर एंव डीलरो को हमारे द्वारा अपनी फैक्ट्री में तैयार दवाईयाँ बेचते थे। हम हफ्ते में दवाई के 10 पेटी करीब 200 डिब्बे तैयार कर लेते है, जिन्हे बेचकर हमारे द्वारा करोड़ो रुपये का लाभ और कई सम्पत्तियाँ भी अर्जित की गयी है, मैंने रेंज रोवर कार भी इन्ही पैसो से ली है। इसके अतिरिक्त विकास ने रुड़की में 35 लाख रुपये का प्लाँट व 12 लाख रुपये की KIA सोनेट कम्पनी की गाड़ी खरीदी है । इसके अतिरिक्त उषा इन्क्लेव में 50 लाख रुपये का मकान व मकदून पुर में फैक्ट्री के लिये 04 बीघा जमीन भी ली है। जिस पर हमारा फैक्ट्री स्थापित किये जाने का विचार था।