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वामपंथी उग्रवाद से होने वाली हिंसा में 2014 के बाद से लगातार गिरावट, गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में कई तथ्य आए सामने

नई दिल्ली। गृह मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि माओवादी हिंसा ने देश के कई हिस्सों में विकास प्रक्रिया को दशकों पीछे धकेल दिया है। मंत्रालय ने कहा कि इसे नागरिक संस्थाओं और मीडिया को पहचानने की जरूरत है ताकि नक्सलियों पर हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने का दबाव बनाया जा सके।
रिपोर्ट में कही ये बात
वर्ष 2022-23 के लिए गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह आवश्यक है कि नक्सली इस तथ्य को पहचानें कि 21वीं सदी के भारत की सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक गतिशीलता तथा आकांक्षाएं माओवाद के वैश्विक दृष्टिकोण से बहुत दूर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर इस खतरे से पूर्ण रूप से निपट रही है और परिणाम उत्साहजनक रहे हैं।

वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से होने वाली ¨हसा में 2014 के बाद से लगातार गिरावट और इनके प्रसार में काफी कमी देखी गई है। मंत्रालय ने कहा कि माओवादी नहीं चाहते कि मूलभूत समस्याओं का हल किया जाए क्योंकि वे बड़े पैमाने पर स्कूल भवनों, सड़कों, रेलवे, पुलों, स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और संचार सुविधाओं को निशाना बनाते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि माओवादी अपनी पुरानी विचारधारा को कायम रखने के लिए अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों की आबादी को हाशिए पर रखना चाहते हैं। नतीजतन, वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव के कारण देश के कई हिस्सों में विकास की प्रक्रिया दशकों पीछे चली गई है।

जम्मू-कश्मीर में 32,355 एसपीओ तैनात किए गए
जम्मू-कश्मीर में 4,153 ग्राम सहायता समूह (वीडीजी) और 32,355 विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) नागरिकों की सुरक्षा और आतंकवाद रोधी अभियानों से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों में शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, सीमा पार से प्रायोजित और समर्थित आतंकवादी एवं अलगाववादी ¨हसा के कारण जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति लगभग तीन दशकों तक प्रभावित थी।
जम्मू-कश्मीर में जारी आतंकवादी गतिविधियां
इसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में जारी आतंकवादी गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय सीमा (आइबी) के साथ-साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) के रास्ते सीमा पार से होने वाली आतंकवादी घुसपैठ का नतीजा हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में ग्राम रक्षा समूह के सदस्यों को ग्राम रक्षा गार्ड नाम दिया गया है। मौजूदा समय में ग्राम रक्षा समूह की स्वीकृत संख्या 4,985 है, जिनमें से 4,153 वीडीजी का गठन किया जा चुका है।

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