देहरादून, मुख्य संवाददाता। धारचूला के कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने अपनी ही पार्टी पर विधानसभा में उन्हें बोलने का मौका नहीं देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वह आपदा से जुड़े मुद्दे पर पहाड़ की आवाज को सदन में उठाना चाहते थे, लेकिन सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष ने भी उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया। उन्होंने इसे पहाड़ की जनता के साथ छलावा करार दिया है। इधर, गैरसैंण में अपनी ही पार्टी के खिलाफ दिए उनके बयान ने राजनीतिक माहौल को गरमाए रखा।
गैरसैंण में मीडिया से मुखातिब, धारचूला विधायक हरीश धामी ने कहा कि सत्तापक्ष के साथ विपक्ष ने भी पहाड़ की आवाज का दबाने का काम किया है। उत्तराखंड में मुख्यत तीन जिले रुद्रप्रयाग, चमोली और पिथौरागढ़ आपदा से ग्रस्त हैं। केदारनाथ विस सीट खाली है, बदरीनाथ से नया विधायक जीतकर आया है, उन्हें भी बोलने का मौका नहीं दिया। वह पिथौरागढ़ के साथ इन जिलों की आवाज को सदन में रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें भी मौका नहीं दिया गया। धामी ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष ने आपदा पर बोलने के लिए 30 मिनट दिए थे, लेकिन विपक्ष ने उन्हें बोलने के लिए पांच मिनट देना भी उचित नहीं समझा। उन्होंने कहा कि वह तीन बार के विधायक हैं। वर्ष 2012 से लेकर 22 तक उन्होंने डबल इंजन की प्रचंड लहर को अपने यहां नहीं आने दिया।
मुख्यमंत्री से मिलकर रखी अपनी पीड़ा विधायक हरीश धामी ने गैरसैंण सत्रावसान के बाद विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर उनके समक्ष अपनी पीड़ा रखी। उन्होंने कहा आपदा की दृष्टि से सबसे संवेदनशील राज्य के पर्वतीय क्षेत्र हैं। आपदा जैसे महत्वपूर्ण विषय पर उन्हीं की पार्टी के सदस्यों ने उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव आरके सुधांशु को निर्देश दिए कि सचिव आपदा प्रबंधन और जिलाधिकारी पिथौरागढ़ के साथ बैठक कर क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जाए।
सदन में कौन सदस्य कितनी देर बोलेगा, इसका विशेषाधिकार स्पीकर के पास होता है। आपदा पर चर्चा के दौरान पहले विधायक काजी निजामुद्दीन ने अपनी बात रखी, इसके बाद कापड़ी ने भी अपनी बात रखी। इसके बाद हरीश धामी का नंबर था, लेकिन स्पीकर ने चर्चा पर विराम लगा दिया। – यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष