पूरे जिले में दी आंदोलन की चेतावनी
बाजपुर। आशाओं और सीएचसी की महिला चिकित्सक के बीच चल रहा विवाद अब पूरी तरह से गहरा गया है। आशा हैल्थ वर्कर्स यूनियन से जुड़ी आशाओं ने महिला चिकित्सक द्वारा लगाये जा रहे आरोपों से आक्रोशित होकर सर्वसम्मति से कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है साथ ही जब तक महिला चिकित्सक पर कार्रवाई नहीं हो जाती या उनका स्थानांतरण नहीं हो जाता तब तक आशायें अस्पताल में अब नहीं जायेंगी। साथ ही ये भी निर्णय हुआ है कि विजयदशमी के बाद आशायें एक बड़ी बैठक करेंगी जिसमें पूरे जिले में महिला चिकित्सक के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाई जायेगी।
रविवार को हल्द्वानी रोड स्थित एक होटल में उत्तराखंड आशा हैल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष रीता कश्यप की अध्यक्षता में एक आपातकालीन बैठक का आयोजन हुआ। इस बैठक में पहंुची रीता कश्यप ने कहा कि आशा हैल्थ वर्कर्स स्वास्थ्य सेवाओं की नब्ज हैं। केंद्र या राज्य सरकार की कोई भी योजना हो उसको जनता तक पहंुचाने का काम आशा पूरी ईमानदारी से करती हैं। गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में लाकर उनका उपचार कराना उनकी जिम्मेदारी है लेकिन अस्पताल में तैनात चिकित्सक आशाओं और मरीजों से अभद्र व्यवहार करते हैं जिससे आशाओं में नाराजगी है। वहीं पहंुची जिलाध्यक्ष ममता पानू ने कहा कि आशाओ पर बेवजह के आरोप लगाये जा रहे हैं ऐसे में आशाओं ने इस अस्पताल में कार्य बहिष्कार कर दिया है। कहा कि महिला चिकित्सक आशाओं पर गंभीर आरोप लगा रही हैं जिनका कोई आधार नहीं है और आशाओं को प्रताड़ित किया जाता है। चेतावनी दी है कि अब आशायें एकजुट हो गई हैं और अब इनके खिलाफ पूरे जिले में प्रदर्शन किया जायेगा। वहीं जिला सचिव कुलविंदर कौर ने बताया कि आज बैठक में जो भी निर्णय लिये गये हैं उस पर सभी आशाओं ने हामी भरी है। कुलविंदर ने कहा कि वह खुद मरीज के साथ उस समय वहां मौजूद थी जब महिला चिकित्सक ने गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे को मृत बताया था। उन्होंने कहा कि अब जांच के नाम पर विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है।
बैठक में अन्नू, कुलविंदर कौर, रेखा यादव, गायत्री देवी, सरोज, पूनम शर्मा, रेखा राणा, राजरानी, शबनम बेगम, जीवंती देवी,गीता सैनी, पूनम भारती, सुरेंद्र कौर, देवकी दूबे, सुनीता, रजनी देवी, पार्वति, मीरा, नीलम देवी, जीत कौर आदि दर्जनों आशायें मौजूद रहीं।
ये था मामला
बाजपुर। 29 सितंबर को ग्राम लखनपुर निवासी रंजीत जो कि 4 माह की गर्भवती है। वह क्षेत्र की आशा कार्यकत्री कुलविंदर कौर के साथ अस्पताल गई थी। रंजीता और कुलविंदर कौर का आरोप था कि महिला चिकित्सक ने रंजीता के साथ अभद्रता करते हुए बिना जांचे ही उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को मृत बता दिया था। वहीं इसी से नाराज आशाओं ने महिला चिकित्सक के खिलाफ अस्पताल में ही धरना प्रदर्शन किया था। उसके बाद महिला चिकित्सक ने आरोप लगाया कि आशा कार्यकत्रियां बेवजह मरीजों को भड़काते हुए चिकित्सकों की छवि को धूमिल करने का काम करती हैं। इसी मामले को लेकर आशायें और महिला चिकित्सक आमने सामने हैं।